मां पूर्णागिरी यात्रा 08 अप्रैल 2023

यह यात्रा हमने मुरादाबाद से शुरू की। यह दिन शुक्रवार का था। यात्रा का अनुभव बड़ा अच्छा रहा। मन को बड़ा सुकून मिलता है, जब भी मैं यात्रा के बारे में सोचता हूं। 


सुबह हम लोग पांच बजे उठ गए थे, मम्मी जी को तो रात भर नींद ही नहीं आई। सुबह उठकर अनु ( मेरी पत्नी) और मम्मी जी (सासू मां) ने पूरियां और भरवे करेले के साथ चाय तैयार की। एक एक जोड़ी कपड़े रखे। हमारा प्लान दो दिन एक रात की यात्रा का था। जब भी आप तीर्थ यात्रा पर जाएं तो कपड़े ज्यादा तंग न पहने, कार हो तो चप्पलें ही पहने। पांच घंटे कार में ही बैठना पड़ता है। तैयार होने के बाद हम सभी मां का जयकारा लगाते हुए अपनी ऑल्टो में बैठकर यात्रा के लिए चल पड़े। यह हमारी पहली पूर्णागिरी यात्रा थी।
मुरादाबाद से रामपुर, बिलासपुर, रुद्रपुर, सितारगंज, नानकमत्ता, खटीमा,टनकपुर से पूर्णागिरी ।
 कहा जाता है कि मां पूर्णागिरी के दर्शन करने के बाद नेपाल में सिद्ध बाबा के दर्शन भी करने होते हैं। तभी यात्रा पूरी मानी जाती हैं। हम लोग  5 घंटे यात्रा करने के बाद पूर्णागिरि पहुंचे लेकिन पूर्णागिरि से पहले रास्ते में ₹150 का पार्किंग चार्ज देना पड़ता है। पूर्णागिरि पहुंचने के बाद आपको कोई पार्किंग चार्ज देना नहीं पड़ता । 
वहां पर जितने भी दुकानदार हैं जो प्रसाद बेचते हैं वही आपकी कार को पार्किंग व्यवस्था देते हैं बस आपको उनसे प्रसाद लेना पड़ता है । शौचालय की वहां पर उचित व्यवस्था होती है । सभी लोग आपके साथ बहुत प्रेम का व्यवहार करते हैं । खाने पीने की वहां पर काफी सुविधा रहती हैं । हमने रास्ते में देखा कि टनकपुर से और पूर्णागिरि तक लोग पैदल यात्रा करते हैं। जो लोग सक्षम नहीं है वह टनकपुर से पूर्णागिरी तक अपनी कार से आ सकते हैं। अपनी कार को पूर्णागिरी पर पार्क कर सकते हैं । उसके बाद प्रसाद लेकर आपको लगभग 3 किलोमीटर सीढ़ियों के द्वारा पैदल चलना पड़ता है । 

पैदल चलने के लिए वहां पर सीढ़ियां बनाई गई है और सीडीओ के दोनों तरफ सुंदर-सुंदर दुकानें सजी रहती हैं। खाने-पीने का सभी सामान मिल जाता है । ठहरने की उचित व्यवस्था रहती है । इन 3 किलोमीटर के अंदर हमें कहीं भी कोई परेशानी नहीं हुई । थोड़ा-थोड़ा चलते रहे, फिर बीच में हम लोग बैठते रहे, आराम किया, चलते रहे , आराम किया ।पूरे रास्ते पर माता की जयकारे लगते हैं । श्रद्धालुओं में बहुत जोश था । काफी अच्छा लगा । थकान तो हुई लेकिन यात्रा का अलग ही मजा होता है । कई बार ठहरने के बाद हम लोग माता के मंदिर के पास पहुंच गए थे ।  श्रद्धालुओं  से निवेदन है कि माता के दर्शन करने से पहले वह लोग  शौचालय वगैरह से निपट लें। आगे जाने के बाद जब भीड़ इकट्ठी होती है तो माता मंदिर के आस पास शौचालय की व्यवस्था नहीं है । पानी बिस्किट नमकीन कोल्ड ड्रिंक इसकी व्यवस्था तो है लेकिन वहां पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है, सब्र रखें, आराम से धीरे धीरे चलें।
 माता का मंदिर काफी ऊंचाई पर है । जो बुजुर्ग हैं, उनका हाथ पकड़ कर चले, जो बच्चे हैं, अपने साथ रखें। 
यात्रा करने के बाद जब हम वापस नीचे पार्किंग एरिया में आए तो शाम हो गई थी। दर्शन करने में काफी भीड़ थी क्योंकि इस समय मेला चल रहा था।  इसलिए हम वापस टनकपुर आ गए। टनकपुर आने के बाद हमने रात बिताने के लिए होटल में कमरा लिया । वैसे तो टनकपुर में रहने की कोई समस्या नहीं है अगर आप रहना चाहो तो ऊपर पूर्णागिरि में भी रह सकते हैं लेकिन हम लोग नीचे आ गए क्योंकि टनकपुर के पास ही सिद्ध बाबा मंदिर पड़ता है । टनकपुर में काफी सुविधाएं हैं धर्मशालाएं हैं वहां पर ₹100, 500, 800, 1200,  1400 तक में कमरे मिल जाते है।  
जितना बजट है आप कमरे ले सकते हैं खाने पीने की व्यवस्था भी वहां पर हो जाती है।
रात सोने के बाद पैरों  को काफी आराम मिला क्योंकि हमने 3 किलोमीटर चढ़ाई चढ़ी थी । सुबह चाय पी, नहाए धोए, फ्रेश हुए फिर हम अपनी यात्रा के लिए निकल पड़े । टनकपुर से थोड़ी दूर चलने के बाद टैक्सी स्टैंड है वहां पर हमने अपनी कार को रोका वहां जाने के लिए ₹50 का पार्किंग चार्ज लगता है जो आपको टनकपुर में ही ले ले जाएगा । टैक्सी स्टैंड पर कर पार्क करके हम मयूरी से tanak pur बैराज पहुंचे। 
जोकि शारदा नदी के ऊपर बनाया गया है । फिर आपको पैदल ही बैराज पार करके दूसरी तरफ नेपाल में पहुंच जाते हैं वहां पर आपको बाइक वाले मिलते हैं जो आपसे ₹10 प्रति सवारी के हिसाब से आपको सिद्ध बाबा मंदिर तक पहुंचाते हैं। बाइक के साथ बैठना भी एक रोमांच है । रोमांचक यात्रा है। बहुत मजा आया मैं तो अकेले बैठा था, मुझसे दो सवारी के पैसे लिए ₹10 प्रति सवारी के हिसाब से मुझसे उन्होंने ₹20 लिए। आपको मंदिर के पास छोड़ देते हैं, वहां से आपको  500 मीटर पैदल चलना पड़ता है । चारों तरफ सुंदर-सुंदर दुकानें लगी होती हैं ।
ज्यादातर दुकानदार वहां पर नेपाली मिलेंगे । आपको नेपाली सामान मिल जाता है। फिर आपको प्रसाद लेने के बाद थोड़ी देर लाइन में खड़ा होना पड़ता है।  पहले आप ब्रह्मदेव के दर्शन करेंगे, उसके बाद आपको फिर से लाइन में खड़ा होना पड़ेगा, फिर आपको  सिद्ध बाबा के दर्शन करने होंगे ।  
दोनों दर्शन बहुत जरूरी हैं । उसके बाद आपको वापस आना है बाजार से बाहर, जहां आपको बाइक ने छोड़ा था, फिर से आपको बाइक मिल जाएंगे, वहां पर आपको ₹10 प्रति सवारी लेकर आपको फिर से बैराज के पास छोड़ेंगे।  फिर आपको दोबारा बैराज पार करके वापस इंडिया की तरफ आना है और वहां से आपको मयूरी फिर से आपको आपके पार्किंग स्टैंड पर छोड़ देंगे । मयूरी वाले भी आप से ₹10 प्रति सवारी लेते हैं। कोई ज्यादा महंगा नहीं है । पार्किंग स्टैंड पर आने के बाद हम लोग कार में बैठकर वापस टनकपुर होते हुए घर की तरफ चल पड़े । 
 हम लोग नानकमत्ता गए, वहां दर्शन किए और फिर रास्ते में खाते पीते अपने घर वापस आ गए । 
पैरों में दर्द तो बहुत था, लेकिन इस यात्रा का अलग ही मजा है । 2 दिन पैरों में दर्द रहेगा उसके बाद बड़ा सुकून मिलता है । 
 मुरादाबाद से पूर्णागिरी की तरफ चलोगे तो आपको रास्ते मे एक तरफ से चार बार टोल देना पड़ेगा । ₹500  का टोल हो जाता है । बाकी प्रसाद का खर्च होता है । प्रसाद वहां पर ₹50 से ₹500 तक का प्रसाद मिलता है । 
मुरादाबाद से पूर्णागिरि की यात्रा 235 किलोमीटर पड़ती है लगभग इसमें 5 घंटे तो आपके लग ही जाएंगे।

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Comments

  1. Lovely and very realistic journey एक्सप्लेनेशन

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