शांति कुंज हरिद्वार की यात्रा
शांति कुंज हरिद्वार की यात्रा
इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य अथर्व और अद्विक का मुंडन संस्कार करवाना था | हमने पहले हरिद्वार गंगा किनारे मुंडन करवाने की योजना बनायी | फिर मैंने अपने रिश्तेदारों से इस बारे में बात की तो हरिद्वार शांति कुंज के बारे में पता चला | वहां की व्यवस्था के बारे में सुनकर विचार बदल गया | मन में था कि ऐसा क्या है वहां पर, जो सब वहाँ जाते हैं |
रविवार, 16 मार्च को सुबह 04.44 बजे मै, मेरी पत्नी अनु, बेटा अर्थ, भाई मनु उनकी पत्नी ज्योति, उनके जुड़वाँ बेटे अद्विक, अथर्व, बहन गीतू और मम्मी (सासू माँ), मुंडन संस्कार के लिए हरिद्वार (शांति कुंज) के लिए निकले | हमारे पास दो गाड़ियाँ थी | मेरी आल्टो 800 और मनु की GRAND I 10.
यात्रा के लिए सारी तैयारी करके हम हरिद्वार के लिए निकले | मेरी गाडी में, मैं , अनु, अर्थ और अद्विक बैठे | मनु के साथ मम्मी, ज्योति, अथर्व और गीतू | अथर्व अपनी मम्मी - पापा को नहीं छोड़ता, इसलिए हमारे साथ ज्यादातर अद्विक ही रहता है | हम मुरादाबाद से निकलकर चिडीयापुर पहुंचे | वहाँ कुछ खाने-पीने का सामान खरीदा |
हम लोग सुबह 08:34 शांतिकुंज हरिद्वार पहुँच गए | यह हरिद्वार ऋषिकेश सड़क पर लगभग 10 किलोमीटर की दूरी (15 मिनट) पर एक फ्लाईओवर के नीचे सीधे हाथ की तरफ है | यहाँ पर हिन्दू धर्म के अनुसार सारे संस्कार करवाए जातें हैं | हम 5 नंबर गेट से अन्दर गए | गेट पर पार्किंग के लिए रसीद कटवानी पड़ती हैं , जो निःशुल्क है |
आपको आधार कार्ड दिखाना पड़ता है | पार्किंग की रसीद लेकर हमनें अपनी गाड़ियाँ पार्क कर दीं | उसके बाद हम मुंडन हाल की तरफ चल दिए | REGISTRATION FORM भरा | इसका कोई ऑनलाइन फॉर्म नहीं भरा जाता है | सुबह समय पर आकर रजिस्टर करवाना पड़ता है |कोई भी फीस नहीं ली जाती | सभी संस्कार निःशुल्क करवाए जाते हैं | पूरी जानकारी के साथ-साथ माता-पिता की जानकारी भरी | फॉर्म जमा करके हम अन्दर जाकर इन्तेजार करने लगे | संस्कार का समय 10 बजे रहता है | हमने चप्पलें काउंटर पर जमा कर दी और 10 बजने का इन्तजार करने लगे |
दोनों बच्चों ने खूब मस्ती की | कभी इधर कभी उधर दोड़ते ही रहे, और हमें दौडाते ही रहे | ध्यान रहे कि आपको बच्चों के लिए नए कपड़े साथ में रखना है | भूख भी बहुत तेज लग रही थी |
आखिर इन्तजार ख़त्म हुआ, और हॉल का दरवाजा खुला | सभी माता-पिता अपने बच्चों के साथ हॉल के अन्दर जाने लगे | सभी लोग अपने -अपने ग्रुप में बैठ गए | वहाँ पर सभी ग्रुप्स के लिए थाली में गूदा हुआ आटा, रोली, कलावा, फूल और गिलास में दूध रखे थे | पंडित जी आगे सिंघासन पर बैठे और कथा शुरू हुई|
पंडित जी ने मुंडन संस्कार के बारे में विस्तृत जानकारी दी| और शांतिकुंज की महत्ता को भी बताया | फिर पंडित जी के कहने के अनुसार ही सभी संस्कार करने लगे , जैसे पंडित जी कहते, वैसे हम भी करते | लगभग एक घंटे मन्त्रों के साथ संस्कार चला | अंत में पंडित जी ने कहा की दिए हुए दूध से बालों को अच्छी तरह से भिगो दें | पंडित जी के आदेश अनुसार सभी बाहर आकर आँगन में मुंडन के लिए पंक्तिवत बैठ गए | नाईयों ने सभी बच्चों के बाल काटने शुरू किये | इलेक्ट्रोनिक उस्तरे से बाल काटना शुरू किया ? चारों तरफ से बच्चों के रोने की आवाज गूंज रहीं थी | बड़ी मुश्किल से दोनों को कसके पकड़कर मुंडन करवाया | पंडित जी ने कहा था की नाई को पचास रुपये प्रति बच्चा देना है | सभी ने पचास रुपैये ही दिए | आप भी ध्यान रखना |
काफी देर बाद दोनों का रोना बंद हुआ | बाल काटने के बाद दोनों सुन्दर लग रहे थे |
बाल कटने के बाद हमने बालों को दिए हुए आटे मे रख लिया | अब बच्चों को गुनगुने पानी से नहलाने की व्यवस्था भी थी | दोनों को वहीँ पर नहलाया और नए कपड़े पहनाये |
बच्चों को नए कपडे पहनाकर हमने मंदिर के दर्शन किये | उसके बाद हमें बहुत भूख लग रही थी | वहीँ पर भंडारे की व्यवस्था भी है | भोजन कक्ष के बाहर चप्पलें जमा कर दीं | अपनी थाली ली, गिलास में पानी भरा और पंगत में बैठ गए | पानी लेना ना भूलें | हमने भोजन में काशीफल की शब्जी , दाल, चावल और रोटी खायी | स्वादिस्ट भोजन था | भोजन करने के बाद अपने बर्तन स्वयं धोकर निश्चित स्थान पर रख दिए |
अंत में मुंडन भवन से बाहर जाते समय अपने बच्चों का मुंडन सर्टिफिकेट अवस्य ले ले | यह आपको उसी काउंटर से मिलेगा, जहाँ आने रजिस्टर करवाया था | आप अपनी श्रध्दा से कुछ दान भी कीजियेगा |
सभी कामों से निपटने के बाद हम पार्किंग एरिया में आ गए और अब घर की तरफ चल दिए | अब दिन के 12:33 बज गए थे | हम रास्ते में खैरा पंजाबी ढाबा पर रुके | एक घंटा रुकने के बाद हम घर की तरफ चल पड़े ? हम लोग 06:18 शाम घर पहुँच गए |
हम लोग पहली बार मुंडन करवाने शांति कुञ्ज गए | जाने से पहले मन में था कि पता नहीं वहां पर क्या और कैसी व्यवस्था होगी ? कितने पैसे खर्च होंगे ? क्या हमको लूट लिया जाएगा ? लेकिन मेरा सोचना बिलकुल गलत था |
सभी कार्य सही ढंग से, शांतिपूर्वक संपन्न हुए | आप एक बार जरूर जाएँ |
शांतिकुंज व्यवस्थापक जी का तहेदिल से धन्यवाद |
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